बिक जाए चाहे ये हस्ती अधूरे ख्वाबों को अब मंज़िल | हिंदी Poetry Video

"बिक जाए चाहे ये हस्ती अधूरे ख्वाबों को अब मंज़िल की सैर करानी है रास्ते कैसे भी हो एक पग ना पीछे हटना है बस आखिरी बार एक सफ़र टूट कर बिखर जाऊंगा या फिर निखर के मंज़िल पाऊंगा दिल दिमाग ने पहली बार साथ में ठानी है अब जो भी होगा ज़िन्दगी के आख़िरी पड़ाव पे बस आखिरी बार एक सफ़र करना ©Kandari.Ak "

बिक जाए चाहे ये हस्ती अधूरे ख्वाबों को अब मंज़िल की सैर करानी है रास्ते कैसे भी हो एक पग ना पीछे हटना है बस आखिरी बार एक सफ़र टूट कर बिखर जाऊंगा या फिर निखर के मंज़िल पाऊंगा दिल दिमाग ने पहली बार साथ में ठानी है अब जो भी होगा ज़िन्दगी के आख़िरी पड़ाव पे बस आखिरी बार एक सफ़र करना ©Kandari.Ak

#safar

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