ऐसे दौर में लोग हैं पहुंचे
रज कर भी नहीं रजते देखें
सबका ढिंढोरा पीटने वाले
खुद के परदे का कजते देखें
दो दो बार हैं कुछ करते हैं पूजा
लोग मुखोटे लगाकर घूमे
कई काली दुर्गा पूजने वाले
लड़कियों के गले वडदे (काटते) देखें
मौसी-बुआ कहां ढूंढोगे
अब तो हद से बाहर है मसला
कोख में बेटी मारने वाले
घर-घर कंजक लभदे (ढूंढते) देखें
चंद सिक्कों के लालच खातिर
बहू को मायके जो बिठाए
एक दिन सूनेघर में अकेले
दीवारों के साथ बजते (टकराते) देखें
©मिहरबान सिंह जोसन -कंजकें-
#PoetryTutorial #Kanjak #कंजक #life #public #meharbansinghjosan #Josan #sukun #Aamad