शायद यही है तकदीर में के यादों के बिना जीया नहीं ज | हिंदी Shayari

"शायद यही है तकदीर में के यादों के बिना जीया नहीं जाए, क्या बताये कश्मकश-ए-ज़िन्दगि हम के अब दर्द सहा नहीं जाए और कहा भी नहीं जाए... -Siddhant W. ©Siddhant Waghmare"

 शायद यही है तकदीर में
के यादों के बिना जीया नहीं जाए,
क्या बताये कश्मकश-ए-ज़िन्दगि हम
के अब दर्द सहा नहीं जाए और कहा भी नहीं जाए...
-Siddhant W.

©Siddhant Waghmare

शायद यही है तकदीर में के यादों के बिना जीया नहीं जाए, क्या बताये कश्मकश-ए-ज़िन्दगि हम के अब दर्द सहा नहीं जाए और कहा भी नहीं जाए... -Siddhant W. ©Siddhant Waghmare

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