White जलने वाला कब का जल गया,
कतरा कतरा मोम जब गल गया ।
फड़कती रह गईं वो मासूम आँखें,
और जीवनसाथी मेरा बदल गया ।
साँस ही होता सबका जीवनसाथी,
साँस रुका और सब फिसल गया ।
साँस छोड़ "अनिल" यूँ चुप हो गया,
जैसे कोई शख्स वक़्त को छल गया ।
©ANIL KUMAR,)
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#मेरीलेखनी✍️(अनिल कुमार)