विश्व कविता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
मैं लिखूॅंगी आस को
विश्वास को भी हॉं लिखूॅंगी
हार भी लिखती रहूॅंगी
जीत के आधार को भी
आत्म के उत्थान को भी
प्रेम और मनुहार को
पीर और आनंद को भी
जीव के अधिकार को
लिख रही हूॅं स्वयं को ही
स्वयं को पढ़ती रहूॅंगी
खोजते ही खोजते मैं
स्वयं को गढ़ती रहूॅंगी
✍️ चित्रा
©Chitra V Srivastava
world poetry day
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