आप ऐसे न हमसे गिला कीजिए
जब भी मिलिए तो मिलके दुआ कीजिए
जिंदगी चार दिन की है बस चाँदनी
बेवज़ह भी कभी तो हँसा कीजिए
साथ मिलके हैं चलते कहाँ ? लोग सब
आप हमसे वफ़ा बस वफ़ा कीजिए
बाद रोकर मिलेगा न कुछ फ़ायदा
वक़्त का साथ हरदम किया कीजिए
आप रोते रहे यूँ तो मिट जाओगे
जिंदगी आप खुलके जिया कीजिए
फूल काँटों में रहके ही फ़बता रहा
दर्द को जिंदगी की दवा कीजिए
जीत पक्की तुम्हारी है तय मान लो
मुश्किलों से बड़ा हौंसला कीजिए
अनिल कुमार 'निश्छल'
बुंदेलखंड
©ANIL KUMAR
#WoNazar सादर समीक्षार्थ प्रेषित
#ग़ज़ल 1
212 212 212 212
आप ऐसे न हमसे गिला कीजिए
जब भी मिलिए तो मिलके दुआ कीजिए
जिंदगी चार दिन की है बस चाँदनी
बेवज़ह भी कभी तो हँसा कीजिए