प्यार के लिए अपने मां के प्यार को भुला दिया,
पापा के सपनों को मिट्टी में मिला दिया,
चार दिन की चांदनी के खातिर सूरज का उजाला भुला दिया,
अब बड़ी हो गई हूं, कह कर
बाप के फैसले को ठुकरा दिया,
अब तो समझ लो बेटियों कितने किस्से सुनाऊं,
हवस हुई पूरी तो उसको 35 टुकड़ों में काट दिया,
सोच समझ कर फैसला लेना जिंदगी के,
क्योंकि जालिम दुनिया में हर कोई अपना नहीं होता।।
©nirankar pandey
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