भटक रहे हैं हम यूँ ही दर-ब-दर दिल को कोई आसरा मिल | हिंदी Shayari

"भटक रहे हैं हम यूँ ही दर-ब-दर दिल को कोई आसरा मिलता नहीं खुदा निगहेंबा हो जाए गर हमारा ज़फा-ए-ज़िंदगी से मिल जाए किनारा हमें रोशनी की तलाश अब ख़त्म अब अँधेरे हमें  रास आने लगे जब से खुश रहने की उम्मीद छोड़ी है तब से मुस्कुराने लगे ©ZIKR101 OFFICIAL"

 भटक रहे हैं हम यूँ ही दर-ब-दर 
दिल को कोई आसरा मिलता नहीं 
खुदा निगहेंबा हो जाए गर हमारा
ज़फा-ए-ज़िंदगी से मिल जाए किनारा हमें 
रोशनी की तलाश अब ख़त्म 
अब अँधेरे हमें  रास आने लगे 
जब से खुश रहने की उम्मीद छोड़ी है 
तब से मुस्कुराने लगे

©ZIKR101 OFFICIAL

भटक रहे हैं हम यूँ ही दर-ब-दर दिल को कोई आसरा मिलता नहीं खुदा निगहेंबा हो जाए गर हमारा ज़फा-ए-ज़िंदगी से मिल जाए किनारा हमें रोशनी की तलाश अब ख़त्म अब अँधेरे हमें  रास आने लगे जब से खुश रहने की उम्मीद छोड़ी है तब से मुस्कुराने लगे ©ZIKR101 OFFICIAL

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