कहने और करने में बहुत फर्क होता है ,आशाओं की नींव पर ही सपनों का महल खड़ा होता है ।
तम्मना थी तुझे दुल्हन बहाने की पर जो यह 'नवनीत' सोचता है वो कहाँ पूरा होता है ।। कहने और करने में बहुत फर्क होता है ,आशाओं की नींव पर ही तो सपनो का महल खड़ा होता है ।
तम्मना थी तुझे दुल्हन बनाने की पर जो यह 'नवनीत 'सोचता है वो कहाँ पूरा होता है ।।
hi this is Navneet ....