White मेरी कविता हो तुम..
हर एक शब्द को तुम्हे देखते हुए पिरोया मैने
तेरी हर आदतों को भी बखूबी सामिल किया
कोई उम्मीद नही रक्खी तेरी तारीफों के बदले
उल्टा मैने हि तुम्हें हमेशा अपना वक्त है दिया
हमेशा चाँद तारों से काम चला लिया हमने
तुम्हे पाने का मेरा कोई मकसद ही नही रहा
जितना हो सका उतना प्यार दे चुका तुम्हें
खुद को इन खयालों से मैने मुक्त कर लिया
एक सौक था वो भी अब पुरा कर लिया मैने
अब प्यार की बातें सुनने का मन ही नही होता
सब तुम्हें दे कर खुद खाली कमरा रह गया
अब दिल है भी कि नही महसूस नही होता
मन की कुछ बातें
©Vickram
#goodnightimages love poem,,