माँ फिर तेरे दर पें एक फर्याद लिये आया हूं! इसबार | हिंदी कविता

"माँ फिर तेरे दर पें एक फर्याद लिये आया हूं! इसबार तेरी चोखट पें नारी का सम्मान मांगने आया हूं! कलयुग के इस दौर में हर मोड पें दुशासन बैठे हें! बचासके द्रौपदी की लाज वो मित्र श्री कृष्ण मंगने आया हूं! #गौरवMania To be continue.......... ............... ....... ©Gaurav Pramod Deshpande"

 माँ फिर तेरे दर पें एक फर्याद लिये आया हूं!
इसबार तेरी चोखट पें नारी का सम्मान मांगने आया हूं!

कलयुग के इस दौर में हर मोड पें दुशासन बैठे हें!
बचासके  द्रौपदी की लाज वो मित्र श्री कृष्ण मंगने आया हूं!


#गौरवMania




                                        To be continue..........        





















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©Gaurav Pramod Deshpande

माँ फिर तेरे दर पें एक फर्याद लिये आया हूं! इसबार तेरी चोखट पें नारी का सम्मान मांगने आया हूं! कलयुग के इस दौर में हर मोड पें दुशासन बैठे हें! बचासके द्रौपदी की लाज वो मित्र श्री कृष्ण मंगने आया हूं! #गौरवMania To be continue.......... ............... ....... ©Gaurav Pramod Deshpande

#नारी

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