उसका गांव कैसे भूलूं उसके गांव की गलियों को एक म | हिंदी कविता Video

"उसका गांव कैसे भूलूं उसके गांव की गलियों को एक महाकाल का मंदिर था वह लाल रंग दरवाजों का अब तक याद है मुझ को वह पुष्प वृक्ष गुड़हल का जो चिताकर्षक था महाकाल के आंगन का अब थोड़ी चर्चा में लाए उसके गांव की गलियों को वर्षा के दिन हों जैसे नगर निगम का पानी बहता कैसे भूलूं उसके गांव की गलियों को एक महाकाल का मंदिर था वह लाल रंग दरवाजों का शेष पंक्तियां 12 फरवरी को प्रकाशित को होंगी By Adil Zafar ©ADIL Zafar "

उसका गांव कैसे भूलूं उसके गांव की गलियों को एक महाकाल का मंदिर था वह लाल रंग दरवाजों का अब तक याद है मुझ को वह पुष्प वृक्ष गुड़हल का जो चिताकर्षक था महाकाल के आंगन का अब थोड़ी चर्चा में लाए उसके गांव की गलियों को वर्षा के दिन हों जैसे नगर निगम का पानी बहता कैसे भूलूं उसके गांव की गलियों को एक महाकाल का मंदिर था वह लाल रंग दरवाजों का शेष पंक्तियां 12 फरवरी को प्रकाशित को होंगी By Adil Zafar ©ADIL Zafar

उसका गांव

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