मां कहां हो तुम?
देखो ना मां अब सावन भी नहीं भा रहा,
मायके से भी तो बुलावा अब नहीं आ रहा।
क्या हो गई मैं पराई, या पराया किया जा रहा।
कोई बताता क्यों नहीं आखिर मेरा घर कौन सा है।
पूछने पर ये बात आखिर क्यों सब मौन - सा है।
मां कहां हो तुम?
बेड़ियों में जकड़ गई हूं, खुद में ही सिमट गई हूं।
जितना तुमसे निखरी थी उतना ही मैं बिखर गई हूं।
सबने कहा बेड़ियों को वस्त्र बना लो,
मां तुम कह दो ना कि बेड़ियों को अस्त्र बना लो।
एक बार तो बोल दो ना मां......
कई रातों से मैं सोई नहीं नींद भी अधूरी है,
कैसी है ये विडंबना कैसी ये मजबूरी है।
मैं और मेरी सारी ख्वाहिशें भी कहां पूरी हैं,
अपने पास बुला लो मां मंजूर मुझे यह दूरी है।
मां कहां हो तुम?
घुट - घुट कर जीना आखिर मजबूरी क्यों है,
सबको खुश रखने के लिए मेरा उदास होना जरूरी क्यों है।
अंदर दर्द का समंदर पर बाहर से ठीक हूं मां।
सह रही हूं हर दर्द आखिर तेरा ही तो वजूद हूं मां।
मां कहां हो तुम???
©Ashish Gupta
#motherlove #daughter