White पूछती हैं दीवारें ये गालियां यहां,
कब तक ढूंढे ये दिल वो तेरे निशां
आरही है सिसकती फ़ज़ा से सदा
गर सुनाई पड़े,तो लौट आओ यहां
शब भी डूबी रही अश्क में रात भर
ग़म ए गोकुल से वो क्यों हैं अनसुना
वो पागल सी राधा,हैं वहीं की वहीं
रूखसत वो हुआ, कर वादे जहां
अश्क में डूब कर कितनी बेबस सी वो
राह तकती रोज़ाना बे सबब, बेपनाह
पूछती हैं दीवारें ये गालियां यहां,
कब तक ढूंढे ये दिल वो तेरे निशां
राजीव
©samandar Speaks
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