इश्क क्या होता हैं नहीं पता इश्क कैसा होता हैं नही

"इश्क क्या होता हैं नहीं पता इश्क कैसा होता हैं नहीं पता पता हैं तो सिर्फ एक इश्क हैं जरा सा सम्भाल कर के रखना क्यों इश्क को पता नहीं हैं तूझपे रंग नहीं रगों में हैं जरा सा सिर्फ इक इश्क हैं जानते हैं रखना महफूज ,महफ़िलो में नहीं काफिरो के दायरों में हैं इश्क ही तो हैं हुआ न जाने कैसे हैं नशा रात-दिन का हैं चढ़ा चारों पेहरों में हैं एक इश्क हैं न जाने कितने तूफान हैं आँधीयों में धसी आँखे सहला रहीं हैं सैलाबों को उठे हुए हैं, उड़े हुए हैं खचाखच घिरे हुए हैं रोक-टोक,बंदिशों के शामियानों में ऐ इश्क तू रुक जा जरा गौर कर क्या जमा कर पायेगा तू मुकद्दर को क्या सही नहीं हो जायेंगा आसानी से मुश्किलो को हटाने को ऐ इश्क तू झुक के दिखा ऐ इश्क तू जुदा हो के दिखा दिख रहा हैं फिर दिखाई क्यों नहीं दे रहा हैं ! ऐ इश्क तू जरा थम के तो दिखा थमाने के लिए सिर्फ एक हाथ,थामने के लिए सिर्फ एक रात गुजर कर के गुजार देने के लिए सिर्फ एक मोह-ताज (It's both sides are equal comparability) क्या सबसे बड़ा हैं ये सर का ताज क्यों उतार देना चाहतें हो क्यों नहीं चाहतें हो सरताज ? इज्जत से अदब से पेश आया करो वरना अगर इज्ज्त ने अदब छोड़ दी न चामाट गाल पर और गूँज पूरे शरीर में  नालायक नहीं हैं नायक नहीं हैं खलनायक होता हैं ये इश्क।GB ©Tanu Agarwal"

 इश्क क्या होता हैं
नहीं पता
इश्क कैसा होता हैं
नहीं पता
पता हैं
तो सिर्फ
एक इश्क हैं जरा सा 
सम्भाल कर के रखना
क्यों
इश्क को पता नहीं हैं
तूझपे रंग नहीं
रगों में हैं
जरा सा
सिर्फ इक इश्क हैं जानते हैं रखना
महफूज ,महफ़िलो में नहीं
काफिरो के दायरों में हैं
इश्क ही तो हैं
हुआ न जाने कैसे हैं
नशा रात-दिन का हैं
चढ़ा चारों पेहरों में हैं
एक इश्क हैं
न जाने कितने तूफान हैं 
आँधीयों में धसी आँखे सहला रहीं हैं सैलाबों को उठे हुए हैं, उड़े हुए हैं खचाखच घिरे हुए हैं रोक-टोक,बंदिशों के शामियानों में 
ऐ इश्क
तू रुक जा 
जरा गौर कर 
क्या जमा कर पायेगा तू मुकद्दर को क्या सही नहीं हो जायेंगा आसानी से मुश्किलो को हटाने को
ऐ इश्क तू झुक के दिखा
ऐ इश्क तू जुदा हो के दिखा 
दिख रहा हैं फिर दिखाई क्यों नहीं दे रहा हैं !
ऐ इश्क तू जरा थम के तो दिखा
थमाने के लिए सिर्फ एक हाथ,थामने के लिए सिर्फ एक रात गुजर कर के गुजार देने के लिए सिर्फ एक मोह-ताज
(It's both sides are equal comparability)
क्या सबसे बड़ा हैं ये सर का ताज क्यों उतार देना चाहतें हो 
क्यों नहीं चाहतें हो सरताज ? 
इज्जत से अदब से पेश आया करो 
वरना अगर इज्ज्त ने अदब छोड़ दी न
चामाट गाल पर और गूँज पूरे शरीर में  
नालायक नहीं हैं नायक नहीं हैं खलनायक होता हैं ये इश्क।GB

©Tanu Agarwal

इश्क क्या होता हैं नहीं पता इश्क कैसा होता हैं नहीं पता पता हैं तो सिर्फ एक इश्क हैं जरा सा सम्भाल कर के रखना क्यों इश्क को पता नहीं हैं तूझपे रंग नहीं रगों में हैं जरा सा सिर्फ इक इश्क हैं जानते हैं रखना महफूज ,महफ़िलो में नहीं काफिरो के दायरों में हैं इश्क ही तो हैं हुआ न जाने कैसे हैं नशा रात-दिन का हैं चढ़ा चारों पेहरों में हैं एक इश्क हैं न जाने कितने तूफान हैं आँधीयों में धसी आँखे सहला रहीं हैं सैलाबों को उठे हुए हैं, उड़े हुए हैं खचाखच घिरे हुए हैं रोक-टोक,बंदिशों के शामियानों में ऐ इश्क तू रुक जा जरा गौर कर क्या जमा कर पायेगा तू मुकद्दर को क्या सही नहीं हो जायेंगा आसानी से मुश्किलो को हटाने को ऐ इश्क तू झुक के दिखा ऐ इश्क तू जुदा हो के दिखा दिख रहा हैं फिर दिखाई क्यों नहीं दे रहा हैं ! ऐ इश्क तू जरा थम के तो दिखा थमाने के लिए सिर्फ एक हाथ,थामने के लिए सिर्फ एक रात गुजर कर के गुजार देने के लिए सिर्फ एक मोह-ताज (It's both sides are equal comparability) क्या सबसे बड़ा हैं ये सर का ताज क्यों उतार देना चाहतें हो क्यों नहीं चाहतें हो सरताज ? इज्जत से अदब से पेश आया करो वरना अगर इज्ज्त ने अदब छोड़ दी न चामाट गाल पर और गूँज पूरे शरीर में  नालायक नहीं हैं नायक नहीं हैं खलनायक होता हैं ये इश्क।GB ©Tanu Agarwal

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