आज जब मैं दफ्तर से घर के लिए निकल ही रहा था, कि तभ

"आज जब मैं दफ्तर से घर के लिए निकल ही रहा था, कि तभी अचानक से एक कॉल आया... और धीमे से कोई चुपके से कुछ बोला... आज जब उसकी आवाज सुनी दिल थम सा गया सांसे रुक सी गई, ऐसा लग रहा था... क्या खो गया मेरा क्या मिल गया मुझे... एक अजीब सी जल्दबाजी एक अजीब सी खुशी थी, मैं बोल कुछ रहा था निकल कुछ रहा था... वो हंसी और बोली क्या हुआ कोई खजाना मिल गया क्या? और मैं बोला तुम किसी खजाने से कम हो क्या... मैंने बहुत ख्वाब देखे पर उनमें कोई ऐसा ख्वाब न था जिसमें तू ना हो तेरा सपनों में आना, आके नखरे दिखाना हां अच्छा लगता है मुझे... वो कहती है मैं परेशान करती हूं चिढ़ाती हूं जलाती हूं तुम्हें तुम्हें कोई फर्क क्यों नहीं पड़ता... अब मैं उसे कैसे बताऊं फर्क तो पड़ता है बहुत पड़ता है जरूरी नहीं है कि हर जख्म दिखे तुम्हें... उसकी वो बातें हर एक मुलाकाते याद रहती है मुझे वो समझती है अब बात नहीं होती तो भूल गया मुझे अरे उसे कोई बताए जाके... दिल धड़कना बंद हुआ है कभी अगर हो भी गया तो उस दिन मैं, मैं नहीं मिट्टी हो जाऊंगा!!"

 आज जब मैं दफ्तर से घर के लिए निकल ही रहा था,
कि तभी अचानक से एक कॉल आया...
और धीमे से कोई चुपके से कुछ बोला...
आज जब उसकी आवाज सुनी
दिल थम सा गया सांसे रुक सी गई,
ऐसा लग रहा था...
क्या खो गया मेरा क्या मिल गया मुझे...
एक अजीब सी जल्दबाजी
एक अजीब सी खुशी थी, 
मैं बोल कुछ रहा था निकल कुछ रहा था...
वो हंसी और बोली क्या हुआ
कोई खजाना मिल गया क्या? 
और मैं बोला तुम किसी खजाने से कम हो क्या...
मैंने बहुत ख्वाब देखे
पर उनमें कोई ऐसा ख्वाब न था जिसमें तू ना हो
तेरा सपनों में आना, आके नखरे दिखाना
हां अच्छा लगता है मुझे...
वो कहती है मैं परेशान करती हूं चिढ़ाती हूं जलाती हूं तुम्हें
तुम्हें कोई फर्क क्यों नहीं पड़ता...
अब मैं उसे कैसे बताऊं 
फर्क तो पड़ता है बहुत पड़ता है
जरूरी नहीं है कि हर जख्म दिखे तुम्हें... 
उसकी वो बातें हर एक मुलाकाते याद रहती है मुझे
वो समझती है अब बात नहीं होती तो भूल गया मुझे
अरे उसे कोई बताए जाके...
दिल धड़कना बंद हुआ है कभी
अगर हो भी गया
तो उस दिन मैं, मैं नहीं मिट्टी हो जाऊंगा!!

आज जब मैं दफ्तर से घर के लिए निकल ही रहा था, कि तभी अचानक से एक कॉल आया... और धीमे से कोई चुपके से कुछ बोला... आज जब उसकी आवाज सुनी दिल थम सा गया सांसे रुक सी गई, ऐसा लग रहा था... क्या खो गया मेरा क्या मिल गया मुझे... एक अजीब सी जल्दबाजी एक अजीब सी खुशी थी, मैं बोल कुछ रहा था निकल कुछ रहा था... वो हंसी और बोली क्या हुआ कोई खजाना मिल गया क्या? और मैं बोला तुम किसी खजाने से कम हो क्या... मैंने बहुत ख्वाब देखे पर उनमें कोई ऐसा ख्वाब न था जिसमें तू ना हो तेरा सपनों में आना, आके नखरे दिखाना हां अच्छा लगता है मुझे... वो कहती है मैं परेशान करती हूं चिढ़ाती हूं जलाती हूं तुम्हें तुम्हें कोई फर्क क्यों नहीं पड़ता... अब मैं उसे कैसे बताऊं फर्क तो पड़ता है बहुत पड़ता है जरूरी नहीं है कि हर जख्म दिखे तुम्हें... उसकी वो बातें हर एक मुलाकाते याद रहती है मुझे वो समझती है अब बात नहीं होती तो भूल गया मुझे अरे उसे कोई बताए जाके... दिल धड़कना बंद हुआ है कभी अगर हो भी गया तो उस दिन मैं, मैं नहीं मिट्टी हो जाऊंगा!!

👉दिल ए मुलाकात...❤️
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आज जब मैं दफ्तर से घर के लिए निकल ही रहा था,
कि तभी अचानक से एक कॉल आया...
और धीमे से कोई चुपके से कुछ बोला...
आज जब उसकी आवाज सुनी
दिल थम सा गया सांसे रुक सी गई,

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