White मिलना भी इस्तेफाक था बिछड़ना भी नसीब था। वह उतना दूर हो गया जितना करीब था। मैं उसको देखने को तरसती ही रह गई जिस शख्स के हथेली में मेरा नसीब था। बस्ती के सारे लोग आतिश परस्त थे। जल रहा था मेरा घर और समुद्र करीब था। हम कहां तलाश करें अपने खून को। हर शख्स के गले में निशाने सलीब था दफना दिया गया मुझे चांदी की कब्र में। मैं जिसको चाहती थी वह लड़का गरीब था। मैं जिसको चाहती थी वह लड़का गरीब था
©SHAILENDRA MOHAN BABA
SAD SHAYARI 🥰