बुढ़ापा
है बुढ़ापा सत्य जीवन का एक दिन सबको आना है
बितते हुए हर पल के साथ बुढ़ापे की और बढ़ते जाना है
होती जाती है हड्डीया कमजोर और
रोगप्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है
है बुढ़ापे की निशानियां धीरे धीरे नजर आने लगती है
धुंधला दिखना ,सुनाई ना देना ,
चलने फिरने में होने लगती परेशानी है
शरीर हो जाता है कमजोर जब खाने पीने में होती परेशानी है
भूलने लगते है जब बाते छोटी छोटी
जब बुढ़ापा आने लगता है
साथ चाहिए होता है जिस समय अपनो का
और उसी समय उनको अनदेखा करने का सफर चालू हो जाता है
घर की है जो नीव
हर फैसला जिसका माना जाता था कभी
उस मुखिया को है नही समझ करके
अब हर फैसले से दूर रखा जाता है
देख कर अपनी ऐसी हालत वो खुद पर तरस खाता है
सोच किसी अनकही कहानी में फिर डूब जाता है
टूट रहा है जब शरीर से उसके मन को तोड़ा जाता है
जाने अनजाने में ही पर उन्हें दर्द दिया जाता है
ना लो हर फैसले में राय उनकी पर कुछ में तो उनको शामिल करो
रखो ख्याल उनका और है वो हमारे परिवार का अहम हिस्सा
ऐसा उनको विश्वास दिलाओ
बुढ़ापा है एक सत्य जीवन का पर उसको थोड़ा आसान करो
दे उनको अपनत्व का भाव
उनको मन को थोड़ा प्रश्नचित रखो
है बुढ़ापा आना सबको
इसलिए खुद को उनकी जगह रख कर हर बात तुम सोचो
अपनो बुजुर्गो का करो सम्मान और उनका मान रखो
©Neel.
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