नफ़रतों की एक दिन इन्तेहा हो जाएगी डर है मुझे उस द
"नफ़रतों की एक दिन इन्तेहा हो जाएगी
डर है मुझे उस दिन फिज़ा भी मज़हबी हो जाएगी
मस्जिद से जो गुज़रेगी वो मुसलमान कहलाएगी
मंदिर को छूने वाली हिन्दू हो जाएगी.
"
नफ़रतों की एक दिन इन्तेहा हो जाएगी
डर है मुझे उस दिन फिज़ा भी मज़हबी हो जाएगी
मस्जिद से जो गुज़रेगी वो मुसलमान कहलाएगी
मंदिर को छूने वाली हिन्दू हो जाएगी.