White तृप्ति की कलम से
मुक्तक
विषय-गाँव और शहर
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गाँव को छोड़ शहर आया सुख की तलाश में।
शहर में निजी घर बसाया सुख की तलाश में।
रह गयी बस सुबह-शाम भागम-भाग जिंदगी-
शान्ति,अपनापन गवाया सुख की तलाश में।
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रह गयी अब बस सुखद यादें मेरे गांव की
खो गयी ठंडी हवा उन पेड़ों की छांव की।
शहर आकर क्या-क्या खोया हमने अब जाना-
जब घिसी चप्पलों को देखा अपने पांव की।
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स्वरचित
तृप्ति अग्निहोत्री
लखीमपुर खीरी(उ०प्र०)
©tripti agnihotri
विषय -गाँव और शहर