"यूं किसी अंजान राहों पे
शुरू हुई थी दास्तान हमारी
और क़िस्मत की लकीरों में कभी
हमारा मिलना भी–न लिखा था
सब ख़त्म हो गाया– या फिर
सब खत्म कर रहे हैं–पता नही
वो बस इसीलिए की अब
शुरुआत भी तो करनी है
कितना हसेंगी ये आंखे हर वक्त
मौसम बदल चुके हैं–अब बरसात भी तो
आनी है...
©Suraj Agarwal"