हवाओं का शोर चल पड़ा हैं
ना जाने ये कैसा दौर चल पड़ा हैं
देखु तो सब समझ आ जाता हैं
सोचु तो हर बात सिर के ऊपर से निकल जाता हैं
ख्वाबों में सुकून का एहसास होता है
दौड़ भरी ये जिंदगी हर रोज़ अपनों से दूर ले जाता हैं
©Pavitra Sutparai Magar
शायरी हिंदी में #Poetry