White प्रथम करूं खल वंदना श्रद्धा से सिर नाय
मेरी कविता यों जमे ज्यूँ कुल्फी जम जाय
ज्यो कुल्फी जम जाय आप जब कविता
नापे बड़े-बड़े कविराज मंच पर थर-थर कापे
करें झूठ को सत्य सत्य को झूठ करा दें रूठें
जिस पर आप उसी को हूंट करा दें...
-काका हाथरसी
©VED PRAKASH 73
#उस्तरा