हाथ में डमरू गले में विषधर मस्तक चन्द्र विराजा है, | हिंदी कविता

"हाथ में डमरू गले में विषधर मस्तक चन्द्र विराजा है, जटा में गंगा मस्त भुजंगा महाकाल मेरा बाबा है, हाथ त्रिशूल तन भस्मी रमाये रौद्र रूप हनूमन्ता है, कालों का भी काल, महाकाल मेरा बाबा है. ©Santosh Thakur"

 हाथ में डमरू गले में विषधर मस्तक चन्द्र विराजा है, जटा में गंगा मस्त भुजंगा महाकाल मेरा बाबा है, हाथ त्रिशूल तन भस्मी रमाये रौद्र रूप हनूमन्ता है, कालों का भी काल, महाकाल मेरा बाबा है.

©Santosh Thakur

हाथ में डमरू गले में विषधर मस्तक चन्द्र विराजा है, जटा में गंगा मस्त भुजंगा महाकाल मेरा बाबा है, हाथ त्रिशूल तन भस्मी रमाये रौद्र रूप हनूमन्ता है, कालों का भी काल, महाकाल मेरा बाबा है. ©Santosh Thakur

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