जो जाड़े की धूप से हैं... जून में बारिश की फुहार जै | हिंदी कविता
"जो जाड़े की धूप से हैं... जून में बारिश की फुहार जैसे... अंधेरी रात में टिमटिमाता तारा और दुपहरिया में पेड़ की छांव जैसे... पिता का होना ऐसा है जीवन में जैसे गंगा का अस्तित्व..."
जो जाड़े की धूप से हैं... जून में बारिश की फुहार जैसे... अंधेरी रात में टिमटिमाता तारा और दुपहरिया में पेड़ की छांव जैसे... पिता का होना ऐसा है जीवन में जैसे गंगा का अस्तित्व...