स्त्रियां जब अपने मन‌ भीतर झांकती हैं तब जाकर वो ए

"स्त्रियां जब अपने मन‌ भीतर झांकती हैं तब जाकर वो एक अलग स्वरूप में आती हैं मॉं पार्वती ने गर खुद के भीतर न झांका होता वो कैसे बन पातीं मॉं गौरा से काली माता कविता "

 स्त्रियां जब अपने मन‌ भीतर झांकती हैं
तब जाकर वो एक अलग स्वरूप में आती हैं

मॉं पार्वती ने गर खुद के भीतर न झांका होता
वो कैसे बन पातीं मॉं गौरा से काली माता

कविता

स्त्रियां जब अपने मन‌ भीतर झांकती हैं तब जाकर वो एक अलग स्वरूप में आती हैं मॉं पार्वती ने गर खुद के भीतर न झांका होता वो कैसे बन पातीं मॉं गौरा से काली माता कविता

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