एकतरफा मोहब्बत थी उसको
उसमे मेरा क्या कसूर था
नहीं भाता था मुझको वो
तो उसमे मेरा क्या कसूर था
उसकी नजरों में बसा मैं एक कोहिनूर था
क्यों डरा रहा मुझे वो कत्लेआम करने को
वो प्यार कहाँ, वो तो प्यार का रुशवा सरेआम था
वो कैसी मोहब्बत जो मेरे जीने से भी परेशान था
वो कैसी मोहब्बत जो उठा लिया हथियार था
वो झूठी मोहब्बत, झूठा उसका प्यार था।।
©Santosh Narwar Aligarh
#Ek tarfa mohabbat
#ektarfamohabbat