बहुत से सपनें जो यूं टूट गए!
कई अपनों के साथ छूट गए!
चाहता तो बहुत कुछ कर सकता था!
बहुत कुछ में बन सकता था!
लेकिन जब आया वक़्त कुछ करने
का तो तब मेरे हालात मेरे से रूठ गए!
इस जीवन में क्या से क्या हो गया!
में खुद से ही कितना दूर हो गया!
उन्हें लगता था! में सोचता नहीं हूं!
कुछ भी समझता नही हूं!
ऐसा नहीं था! में भी समझता हूं!
बस में किसी से बोलता नही हूं!
मुझे भी फ़िकर है!
बस में किसी से जताता नही हूं!
काश वो भी समझते!
काश वो भी जानते!
काश वो भी कहतें!
काश वो भी देखतें!
काश वो भी मानते!
काश वो भी पहचानते!
बस में चुप रहने लगा कुछ देख के!
बस में चुप रहने लगा दशा देख के!
बस में चुप रहने लगा! जिंदगी देख के!
बस में चुप रहने लगा! खुद को देख के!
©abhishek sharma
#alone