English
"कागज़ की कश्ती भला कब से दरिया पार उतरने लगी लहरों का अपना उन्माद है गिरना, गिरकर वापस उठना लहरें भला कब से किनारों को छुने से डरने लगी ©Manish Sarita(माँ )Kumar "
कागज़ की कश्ती भला कब से दरिया पार उतरने लगी लहरों का अपना उन्माद है गिरना, गिरकर वापस उठना लहरें भला कब से किनारों को छुने से डरने लगी ©Manish Sarita(माँ )Kumar
#SunSet
Are you sure, you want to delete this story?
You are not a Member of Nojoto with email
or already have account Login Here
Will restore all stories present before deactivation. It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Download App
Stories | Poetry | Experiences | Opinion
कहानियाँ | कविताएँ | अनुभव | राय
Continue with
Download the Nojoto Appto write & record your stories!