चलो आज कुछ अपने बारे में मैं तम्हे बताता हूँ...
मोर्डन जमाने का मैं लड़का पुराना हूँ...
शेरों शायरी में मशगूल हूँ,
भक्ति भाव से विभोर हूँ...
दिखावे से दुर हूँ
सादगी में भरपूर हूँ...
थोड़ा समझदार भी हूँ,
पर दिल का ऐसा,
जो छोटी छोटी बातों पर मन भर भर के रोता हूँ ...
सपनों की तलाश में अपनों से दुर हूँ।
घर द्वार छोड़, दोस्ती यारी सब तोड़
गाँव की खेत खलिहान छोड़...
अनजान शहर में गुमनाम सफर में,
हाँ मैं सपनों की तालाश में अपनों से दुर हूँ ....
पथ का मैं भटका हुआ पथिक लाचार हूँ....
©Writer Abhishek Anand 96
#evening भटका हुआ