वर्षी के अनंतर एक दो दिन में ही पृथ्वी के ऊपर का पानी अगोचर हो जाता है परन्तु भीतर ही भीतर उसकी आद्रता जैसे बहुत दिन तक बनी रहती है वैसे ही अंतस्टल में शोक जाकर बस जाता है... -सियारामशरण गुप्त ©VED PRAKASH 73 #जीवन_धारा Quotes, Shayari, Story, Poem, Jokes, Memes On Nojoto