मै कोन हूं? वजूद क्या है मेरा ? चलो आज मै खुद से

"मै कोन हूं? वजूद क्या है मेरा ? चलो आज मै खुद से बतलाती हूं मै खूबियां तुम्हे आज अपनी फक़त (only)कुछ लफ़्ज़ों में गिनवाती हूं मै वो हूं जो रात देर से जागकर भी सुबह समय पर उठ जाती हूं मै वो हूं जो आंखो के नीचे पड़ी नील को भी एक मुस्कान के पीछे छुपाती हूं मै वो हूं जिसने खुद के लिए कभी मुस्कुराना नहीं सीखा मै वो हूं जिसने खुद से पहले सपना दूसरों के लिए देखा मै वो हूं जो रोटियां गर्म खिलाकर तुम्हे , खुद भूखी सो जाती हूं मै वो हूं जो हंसता देखना सबको हमेशा चाहती हूं मै कहीं नौ दिन तक दुर्गा के रूप में पूजी जाती हूं तो कहीं हर दिन, हर गली, हर चौराहे में गिरी हुई निग़ाहों से देखी जाती हूं मै हूं वो जिसे तुमने कपड़ों से तोला है मै हूं वो जिसको लोगो ने कभी चंद पैसों के लिए मोला है मै कहीं वो आफताब(sun) हूं जिसे देखने को लोग तरसते है तो कहीं हूं वो मेहताब (moon) जिसके नूर की बातें अक्सर होती है मै वो ही जान हूं जिसे दुपट्टा श्रृंगार को नहीं महज़ तन ढकने को दिया जाता है मै हूं वो जिसके लिए मंगलसूत्र कभी महज़ एक जंजीर बन जाता है मै नाजुक नहीं मै जो हूं बहुत नाज है मुझे उसपे मै हर घर का दिया हूं हर घर की शान हूं मै सुंदर हूं सुशील भी मै भरी खूबियों से सारी हूं मै शक्ति हूं दुर्गा हूं हां मै इस देश की नारी हूं।।। -Nisha"

 मै कोन हूं?
 वजूद क्या है मेरा ?
 चलो आज मै खुद से बतलाती हूं
  मै खूबियां तुम्हे आज अपनी
 फक़त (only)कुछ लफ़्ज़ों में गिनवाती हूं
 मै वो हूं जो रात देर से जागकर भी
सुबह समय पर उठ जाती हूं
मै वो हूं जो आंखो के नीचे पड़ी नील को भी एक मुस्कान के पीछे छुपाती हूं
 मै वो हूं जिसने खुद के लिए कभी मुस्कुराना नहीं सीखा
 मै वो हूं जिसने खुद से पहले सपना दूसरों के लिए देखा 
 मै वो हूं जो रोटियां गर्म खिलाकर तुम्हे , 
खुद भूखी सो जाती हूं
 मै वो हूं जो हंसता देखना सबको हमेशा चाहती हूं
मै कहीं नौ दिन तक दुर्गा के रूप में पूजी जाती हूं
 तो कहीं हर दिन, हर गली, हर चौराहे में गिरी हुई निग़ाहों से देखी जाती हूं
  मै हूं वो जिसे तुमने कपड़ों से तोला है
 मै हूं वो जिसको लोगो ने कभी चंद पैसों के लिए मोला है
  मै कहीं वो आफताब(sun) हूं जिसे देखने को लोग तरसते है
 तो कहीं हूं वो मेहताब (moon) जिसके नूर की बातें अक्सर होती है
मै वो ही जान हूं जिसे दुपट्टा श्रृंगार को नहीं
महज़ तन ढकने को दिया जाता है
 मै हूं वो जिसके लिए मंगलसूत्र कभी महज़ एक जंजीर बन जाता है
 मै नाजुक नहीं
 मै जो हूं बहुत नाज है मुझे उसपे
मै हर घर का दिया हूं
 हर घर की शान हूं
 मै सुंदर हूं सुशील भी
 मै भरी खूबियों से सारी हूं 
 मै शक्ति हूं दुर्गा हूं 
 हां मै इस देश की नारी हूं।।।
                           -Nisha

मै कोन हूं? वजूद क्या है मेरा ? चलो आज मै खुद से बतलाती हूं मै खूबियां तुम्हे आज अपनी फक़त (only)कुछ लफ़्ज़ों में गिनवाती हूं मै वो हूं जो रात देर से जागकर भी सुबह समय पर उठ जाती हूं मै वो हूं जो आंखो के नीचे पड़ी नील को भी एक मुस्कान के पीछे छुपाती हूं मै वो हूं जिसने खुद के लिए कभी मुस्कुराना नहीं सीखा मै वो हूं जिसने खुद से पहले सपना दूसरों के लिए देखा मै वो हूं जो रोटियां गर्म खिलाकर तुम्हे , खुद भूखी सो जाती हूं मै वो हूं जो हंसता देखना सबको हमेशा चाहती हूं मै कहीं नौ दिन तक दुर्गा के रूप में पूजी जाती हूं तो कहीं हर दिन, हर गली, हर चौराहे में गिरी हुई निग़ाहों से देखी जाती हूं मै हूं वो जिसे तुमने कपड़ों से तोला है मै हूं वो जिसको लोगो ने कभी चंद पैसों के लिए मोला है मै कहीं वो आफताब(sun) हूं जिसे देखने को लोग तरसते है तो कहीं हूं वो मेहताब (moon) जिसके नूर की बातें अक्सर होती है मै वो ही जान हूं जिसे दुपट्टा श्रृंगार को नहीं महज़ तन ढकने को दिया जाता है मै हूं वो जिसके लिए मंगलसूत्र कभी महज़ एक जंजीर बन जाता है मै नाजुक नहीं मै जो हूं बहुत नाज है मुझे उसपे मै हर घर का दिया हूं हर घर की शान हूं मै सुंदर हूं सुशील भी मै भरी खूबियों से सारी हूं मै शक्ति हूं दुर्गा हूं हां मै इस देश की नारी हूं।।। -Nisha

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