इश्क़ को बेज़ुबां ही रहने दो 'अहमद' । हर्फ़ों क | हिंदी Poetry

"इश्क़ को बेज़ुबां ही रहने दो 'अहमद' । हर्फ़ों की नुमाइश कहीं इसे बेहया ना कर दे।।"

 इश्क़  को  बेज़ुबां  ही  रहने  दो  'अहमद' ।
हर्फ़ों की नुमाइश कहीं इसे बेहया ना कर दे।।

इश्क़ को बेज़ुबां ही रहने दो 'अहमद' । हर्फ़ों की नुमाइश कहीं इसे बेहया ना कर दे।।

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