अब सपने ही सुहाने लगते हैं, हक़ीकत यहाँ बहाने लगते | हिंदी शायरी Video

"अब सपने ही सुहाने लगते हैं, हक़ीकत यहाँ बहाने लगते हैं। जब भी रूठना चाहते हैं उनसे, वो ग़ज़ल हमारी सुनाने लगते हैं। देख कर उनके चेहरे पे मुस्कान, यार हम तो बस इतराने लगते हैं। मुखड़े पे उदासी अच्छी नहीं लगती, यार खुद को जोकर बनाने लगते हैं। छोड़ कर हमको न जाना 'उजाला', बे-वज़ह ही हम डगमगाने लगते हैं। ©अनिल कसेर "उजाला" "

अब सपने ही सुहाने लगते हैं, हक़ीकत यहाँ बहाने लगते हैं। जब भी रूठना चाहते हैं उनसे, वो ग़ज़ल हमारी सुनाने लगते हैं। देख कर उनके चेहरे पे मुस्कान, यार हम तो बस इतराने लगते हैं। मुखड़े पे उदासी अच्छी नहीं लगती, यार खुद को जोकर बनाने लगते हैं। छोड़ कर हमको न जाना 'उजाला', बे-वज़ह ही हम डगमगाने लगते हैं। ©अनिल कसेर "उजाला"

ग़ज़ल

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