بھیگی پلکیں रोज कही ना कही भटकते है हम, ख़ुद के आ | हिंदी शायरी

"بھیگی پلکیں रोज कही ना कही भटकते है हम, ख़ुद के आँशुओं की सूली लटकते है हम । ©P. P."

 بھیگی پلکیں रोज कही ना कही भटकते है हम, 
ख़ुद के आँशुओं की सूली लटकते है हम ।

©P. P.

بھیگی پلکیں रोज कही ना कही भटकते है हम, ख़ुद के आँशुओं की सूली लटकते है हम । ©P. P.

#tears

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