हरचन्द! कोई ख्वाब मुकम्मल नहीं हुआ, मैं इसके बाबजू | हिंदी शायरी Video

"हरचन्द! कोई ख्वाब मुकम्मल नहीं हुआ, मैं इसके बाबजूद भी पागल नहीं हुआ, और जारी हैं हादसों का सफर इस तरह के बस, एक हादसा जो आज हुआ कल नहीं हुआ, बिछड़े हुआ तो एक जमाना हुआ मगर, वो शख्स मेरी आँख से ओझल नहीं हुआ.. ©copy ©Vipendra Singh "

हरचन्द! कोई ख्वाब मुकम्मल नहीं हुआ, मैं इसके बाबजूद भी पागल नहीं हुआ, और जारी हैं हादसों का सफर इस तरह के बस, एक हादसा जो आज हुआ कल नहीं हुआ, बिछड़े हुआ तो एक जमाना हुआ मगर, वो शख्स मेरी आँख से ओझल नहीं हुआ.. ©copy ©Vipendra Singh

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