White धूप किसी बंध्या-सी जिस पर सेंदुर बरक चढ़ाकर, | हिंदी कविता Video

"White धूप किसी बंध्या-सी जिस पर सेंदुर बरक चढ़ाकर, अपना दूध हीन आंचल फैलाकर रो रही है, भारी मन से गाना पड़ता संध्या हो रही है। क्षितिज थाल में नखत-दिया ले खड़ी कुरूपा मौन, चांद सरीखा साजन उसको दे इस युग में कौन, जबकि धरा उसकी विधवा माँ बूढ़ी और गरीबिन, किसी पहाड़िन जैसी तम का बोझा ढो रही है, भारी मन से गाना पड़ता संध्या हो रही है। ©आगाज़ "

White धूप किसी बंध्या-सी जिस पर सेंदुर बरक चढ़ाकर, अपना दूध हीन आंचल फैलाकर रो रही है, भारी मन से गाना पड़ता संध्या हो रही है। क्षितिज थाल में नखत-दिया ले खड़ी कुरूपा मौन, चांद सरीखा साजन उसको दे इस युग में कौन, जबकि धरा उसकी विधवा माँ बूढ़ी और गरीबिन, किसी पहाड़िन जैसी तम का बोझा ढो रही है, भारी मन से गाना पड़ता संध्या हो रही है। ©आगाज़

#सावन @aditi the writer amit pandey

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