तुम ये न कहना कि
तुम इसलिए नहीं आई क्योंकि
तुम आना नही चाहती थी ।
तुम ये कहना कि तुम आ नहीं पाई ।
क्योंकि रास्तों ने तुम्हें रास्ता नहीं दिया ।।
तुम कह देना कि छाता भूल गई थी ।
तुम कह देना नाव में जगह कम थी।।
तुम बस कहते जाना मैं सब मान लूंगा की
फूल कांटे बन गए, घटा शोले बरसाने लगी
तितली ने रास्ता भटका दिया या फिर
नदियों ने उफान ले लिया
सरहदे बदल गई और तुम्हें आने नहीं दिया
पर तुम ये न कहना कि
तुम इसलिए नहीं आई क्योंकि
तुम आना नही चाहती थी ।।
©Prakash Dwivedi
तुम ये न कहना कि
तुम इसलिए नहीं आई क्योंकि
तुम आना नही चाहती थी ।
तुम ये कहना कि तुम आ नहीं पाई ।
क्योंकि रास्तों ने तुम्हें रास्ता नहीं दिया ।।
तुम कह देना कि छाता भूल गई थी ।