तलास
दिल ये उदास क्यों है
किसी अपने की तलाश क्यों है
अंधेरी रात में ढूंढ लेता था मंजिल अपनी
आज कल दीपक की तलास क्यों है
अभी अभी तो पीया था पानी मैने
फिर ये समंदर की तलास क्यों है
गिन गिन कर रखता था कदम मै
आज गिरने की आस क्यों है
अपने दिल को शीसे की तरह रखता हूं मैं
मुझको आज पत्थर की तलास क्यों है
©Jainendra Thakur
तलाश