तम कितना ही प्रबल हठ पर हो, एक दिया आज हर चौखट पर | हिंदी कविता

"तम कितना ही प्रबल हठ पर हो, एक दिया आज हर चौखट पर हो, सभी के अधरो पर मुस्कान की मिठास हो, दिये खुशियों के ,सबके नयन पट पर हो ।। कोई तृष्णा बिन बुझे ,लौट न जाये वन में असीम तरलता, हर हृदय पनघट पर हो ।। लोकेन्द्र की कलम से ✍️ ©Lokendra Thakur"

 तम कितना ही प्रबल हठ पर हो,
एक दिया आज हर चौखट पर हो,
सभी के अधरो पर मुस्कान की मिठास हो,
दिये खुशियों के ,सबके नयन पट पर हो ।।
कोई तृष्णा बिन बुझे ,लौट न जाये वन में
असीम तरलता, हर हृदय पनघट पर हो ।।
लोकेन्द्र की कलम से ✍️

©Lokendra Thakur

तम कितना ही प्रबल हठ पर हो, एक दिया आज हर चौखट पर हो, सभी के अधरो पर मुस्कान की मिठास हो, दिये खुशियों के ,सबके नयन पट पर हो ।। कोई तृष्णा बिन बुझे ,लौट न जाये वन में असीम तरलता, हर हृदय पनघट पर हो ।। लोकेन्द्र की कलम से ✍️ ©Lokendra Thakur

#लोकेंद्र_की_कलम_से
#दिवाली

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