उजड़ गया बगीचा खयाली फूलों का कोई पाबंद ही रहा अपन | हिंदी Shayari

"उजड़ गया बगीचा खयाली फूलों का कोई पाबंद ही रहा अपने उसूलों का। मैं जा पहुंचा उस शहर को जहां बाज़ार लगता था झूठे वकीलों का। ©Amir Rizvi"

 उजड़ गया बगीचा खयाली फूलों का
कोई पाबंद ही रहा अपने उसूलों का।
मैं जा पहुंचा उस शहर को 
जहां बाज़ार लगता था झूठे वकीलों का।

©Amir Rizvi

उजड़ गया बगीचा खयाली फूलों का कोई पाबंद ही रहा अपने उसूलों का। मैं जा पहुंचा उस शहर को जहां बाज़ार लगता था झूठे वकीलों का। ©Amir Rizvi

#Dostiforever

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