तेरे साथ मेरा परिचय जन्म के बाद ही हो गई थी।
एक-एक शब्द को जोड़, एक-एक वाक्य बनाना सीखा।
खुशी के माहौल में
तू मेरे साथ थी
जब मैं खिलखिला के हंस रहा था।
दुख के उस कठिन घड़ी में
खुद की आंसू छुपाए जब मैं
सामने वाले को तसल्ली दे रहा था
तब भी तेरे ही शब्द मेरे ज़बान पर थे।
तू साथ रहकर मुझे, कविताओं का रसपान कराया
तुझ ही में डूब कर मैं, प्रेमचंद से परसाई को पाया।
छोड़कर अपना बचपन, बड़े शहर जब मैं आया
नए लोगों के बीच जब भी मैं
तुझसे परिचित किसी को पाया
दिल मेरा पूरा भर आया।
तेरा साथ, ऐ हिन्दी,
बस ऐसे है मुझपर भाया।
सौविक
©Söuvick Mukherjee
#Hindidiwas Hindi Diwas Special