मेरे तन, कफ़न में मैं नहीं, मेरी लेखनी रूह है मेरी मेरा मकां सबका दिल है, कोई कब्रगाह थोड़ी है। तुम रोक लोगे कालिख को मगर वो बुलंद आवाज़ लेखनी से उठी आग, रोकने की औकात थोड़ी है। ✍️ सौरभ यादव 'कालिख़' . Share my posts if you really like them ❣️ Quotes, Shayari, Story, Poem, Jokes, Memes On Nojoto