दाग गुलामी का धोया है जान लुटा कर, दीप जलाये है कि | हिंदी Shayari

"दाग गुलामी का धोया है जान लुटा कर, दीप जलाये है कितने दीप बुझा कर, मिली है जब ये आज़ादी तो फिर से इस आज़ादी को, रखना होगा हर दुश्मन से आज बचाकर. गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं। ©comedy fun 4.2 page"

 दाग गुलामी का धोया है जान लुटा कर, दीप जलाये है कितने दीप बुझा कर, मिली है जब ये आज़ादी तो फिर से इस आज़ादी को, रखना होगा हर दुश्मन से आज

बचाकर.

गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं।

©comedy fun 4.2 page

दाग गुलामी का धोया है जान लुटा कर, दीप जलाये है कितने दीप बुझा कर, मिली है जब ये आज़ादी तो फिर से इस आज़ादी को, रखना होगा हर दुश्मन से आज बचाकर. गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं। ©comedy fun 4.2 page

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