हम अगर बात सच्ची बताए
हाँ, तुम्हारे बाद भी हमे तुम्हारा ख्याल
बड़ी शिद्दत से सताता हैं......
सच कहूं मिलने जुलने लगीं हुँ फिर से सबसे
पर जाने क्यूँ उनमें भी नज़रे तुम्ही को ढूँढ़ती हैं....
मुस्कुराती हूँ, खिलखिलाती हूँ.....
बस कोई जो तुम्हारा नाम लेले तो ,
किन्ही ख्यालों में डूब जाती हूँ.....
मोहब्बत जो तुमसे हुई हैं,
सनम, वो यूँ ही बरकार रहेगी.....
खैर, तुमने तो मेरे जज्बातों को भी बस मज़ाक समझा....
दिलबर मेरे लिए तुमसे इश्क़ करने की खातिर
तुम्हारी मौजूदगी भी अब ज़रूरी नहीं हैं....
ये फक्त इक इबादत हैं मेरी....
मेरे साथ ही चली जायेगी......
©shivangi pathak
हम अगर सच्ची बताए......
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