मैं तो दरिया की बूंद हूँ केवल मझको सागर न समझना या | हिंदी शायरी

"मैं तो दरिया की बूंद हूँ केवल मझको सागर न समझना यारो देख लो जान अब भी बाक़ी है फिर से पत्थर कोई मुझको मारो ©Dr Jaya Nargis"

 मैं तो दरिया की बूंद हूँ केवल मझको सागर न समझना यारो
देख लो जान अब भी बाक़ी है
फिर से पत्थर कोई  मुझको मारो

©Dr Jaya Nargis

मैं तो दरिया की बूंद हूँ केवल मझको सागर न समझना यारो देख लो जान अब भी बाक़ी है फिर से पत्थर कोई मुझको मारो ©Dr Jaya Nargis

#नर्मदा के तट से

#Drown

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