चले ऐसे लश्कर लेके, वो सड़कों पर,
हाथ यूं ही हिलाते मिलेंगे, वो सड़कों पर ।
वादे कई किये, दिन-रात साथ रहने वाले,
ज़नाब मजबूरियां मेरी मेहमान है, उसमें भी तुम नहीं साथ रहने वाले ।
कहते हो तुम, हम तुम्हें सब कुछ देंगे,
दर्द के सिवाय, आप और क्या-क्या देंगे ।
गुज़ारिश है हमें और हमारे समाज को बक्स दीजिए,
जातिवाद न फैलाएं, इसे खत्म कर दीजिए ।
गरीबों-लाचारों पर तो ज़रा दया करो, उन्हें क्यूं सताते हो,
उनसे दूर ही रहिए, सिवाय दर्द के उनके लिए क्या-क्या लाते हो ।
खुशनसीब हूं मैं, हमने भारत देश में जन्म लिया है,
अधिकार है मुझे अपने हक़ पर, फिर भी तुमने, उसे हर लिया है ।
गुज़ारिश है हमें और हमारे समाज को बक्स दीजिए,
सुख और सुकून के सिवाय हमें और कुछ मत दीजिए ।
© @nitesh__9000
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