गज़ल
इश्क़ ए ख़्वाहिश
हो गया इश्क़ हमें अपनी ही ख़्वाहिशों से कुछ इस कदर
पैग़ाम ए इश्क़ हम भेजते है ख़्वाबों की दुनियाँ को
इक गुज़ारिश है मिल जाये ग़र तिरी पनाह भूला देगें
हकीकत के आगाज़ को इक तिरी से रूबरू होना
अब रास आ गया।
फ़ुज़ूल सी लगती है हक़ीक़त की दुनियाँ कुछ
अधूरी सी कुछ कशमकश सी दिल के अल्फाज़ों
में खामोशी सी छाई,
फिर भी अपनी सी लगती है ख़्वाहिशों की दुनियाँ
ऐ ख़्वाहिशों थाम लेना हमें ग़र हम जाग जायें ,
इक तिरी ही दुनियाँ में वफ़ा सी झलकी हक़ीक़त
की दुनियाँ तो बेवफ़ा सी लगी,
फ़रेबियत सी बसी हक़ीक़त में इक तिरी
दुनियाँ में जन्नत सी झलकी,
इक साथ मिले तो तिरा वरना हर शख़्सियत में
फ़रेबियत सी बसती देखी,
©भारतीय लेखिका तरुणा शर्मा तरु
हमारी स्वरचित चित्र रचनाये
#तरुणा_शर्मा_तरु #Nojoto #nojotocommunity #Hindi
#nojotohindi #Trending #hindiwriters ##indianwriter
#candle #ग़ज़ल