तुम दिव्यशक्ति स्वरुप हो माँ
तुम ही अच्युता, शिवा, गिरजा
सब पाप मेरे माँ नष्ट करो
ले शरण मुझे,मेरे कष्ट हरो
सूने सूने मन आँगन में मेरे
माँ फिर से जीने की उमंग भरो
मुरझाए हैं नयन-कुसुम
अपनी ममता के जल से जीवंत करो
माँ फिर से जीने की उमंग भरो
नव वर्ष में नव आरम्भ करो
तुम ही शक्तिस्वरुप हो माँ
तुम ही अच्युता, शिवा, गिरजा ||
(2-4-22)
©स्मृति.... Monika
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