White नारी शक्ति उठ नारी तु जाग जरा, क्यों देहरी | हिंदी Poetry

"White नारी शक्ति उठ नारी तु जाग जरा, क्यों देहरी में सिमटी सकुचाई आततायियो को जवाब देने की तेरी बारी आई। तू ही शक्ति, तुही काली, तू ही दुर्गा भवानी हार कभी ना तेरी होगी, जो मन में तूने ठानी तेरी अस्मिता पर आंच ना आए कर अपनी हौसला अफजाई। उठ नारी तू जाग जरा, क्यों देहरी में सिमटी सकुचाई। माना राह में तेरी दुशासन कहीं खड़े है तुझे टोकने तुझे रोकने, बहुतेरे रोडे है। आ जाएगा बंसी बजैया करनी तेरी रहनुमाई। उठ नारी तू जाग जरा, क्यों देहरी में सिमटी सकुचाई। याद कर पद्मावती को, जोहर कैसा दिखलाया बन झांसी की रानी, अंग्रेजों को मार भगाया साथ उसी के खड़ा है ईश्वर जिसने हिम्मत है जुटाई। उठ नारी तू जाग जरा, क्या देहरी में सिमटी सकूं चाई आततायियो को जवाब देने की, तेरी बारी आई। ©diya the poetter"

 White 
नारी शक्ति
उठ नारी तु जाग जरा, क्यों देहरी में सिमटी सकुचाई
आततायियो को जवाब देने की तेरी बारी आई।
तू ही शक्ति, तुही काली, तू ही दुर्गा भवानी
 हार कभी ना तेरी होगी, जो मन में तूने ठानी
तेरी अस्मिता पर आंच ना आए कर अपनी हौसला अफजाई।
उठ नारी तू जाग जरा, क्यों देहरी में सिमटी सकुचाई।
माना राह में तेरी दुशासन कहीं खड़े है
 तुझे टोकने तुझे रोकने, बहुतेरे रोडे है।
आ जाएगा बंसी बजैया करनी तेरी रहनुमाई।
उठ नारी तू जाग जरा, क्यों देहरी में सिमटी सकुचाई।
याद कर पद्मावती को, जोहर कैसा दिखलाया
 बन झांसी की रानी, अंग्रेजों को मार भगाया
साथ उसी के खड़ा है ईश्वर जिसने हिम्मत है जुटाई।
उठ नारी तू जाग जरा, क्या देहरी में सिमटी सकूं चाई
आततायियो को जवाब देने की, तेरी बारी आई।

©diya the poetter

White नारी शक्ति उठ नारी तु जाग जरा, क्यों देहरी में सिमटी सकुचाई आततायियो को जवाब देने की तेरी बारी आई। तू ही शक्ति, तुही काली, तू ही दुर्गा भवानी हार कभी ना तेरी होगी, जो मन में तूने ठानी तेरी अस्मिता पर आंच ना आए कर अपनी हौसला अफजाई। उठ नारी तू जाग जरा, क्यों देहरी में सिमटी सकुचाई। माना राह में तेरी दुशासन कहीं खड़े है तुझे टोकने तुझे रोकने, बहुतेरे रोडे है। आ जाएगा बंसी बजैया करनी तेरी रहनुमाई। उठ नारी तू जाग जरा, क्यों देहरी में सिमटी सकुचाई। याद कर पद्मावती को, जोहर कैसा दिखलाया बन झांसी की रानी, अंग्रेजों को मार भगाया साथ उसी के खड़ा है ईश्वर जिसने हिम्मत है जुटाई। उठ नारी तू जाग जरा, क्या देहरी में सिमटी सकूं चाई आततायियो को जवाब देने की, तेरी बारी आई। ©diya the poetter

#sad_shayari

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